काली मिर्च आपने आपने नन्हें से वजूद के बावजूद अन्य औषधीय गुणों को समेटे हुये है| मनुष्य के लिए यह प्रकृति का अनुपम उपहार है| काली मिर्च का उपयोग कफ, खांसी, उदर विकार, पाचन शक्ति, अफरा, चरम रोग, फोड़े-फुंसी आदि की चिकित्सा में किया जाता है|
यह चटपटी, तीक्ष्ण, जठराग्नि को तेज करने वाली, कफ तथा वातनाशक, गरम, पित्त कारक तथा कृमि को मारने वाली है| घरेलू चिकित्सा की यह परम औषधि है|
1. प्रसवोपरांत सेवन:
गांवों में प्रसव के बाद प्रसूता को एक माह तक चावल, घी और काली मिर्च मिलाकर खिलाया जाता है| इससे उनके कमजोर स्नायुओं (लिगामेन्ट) को ताकत मिलती है|
2. जुखाम:
जुखाम होने पर काली मिर्च मिलाकर गर्म दूध पियें| यदि जुखाम बार-बार होता हो, अक्सर छीकें आती हो तो काली मिर्च की संख्या एक से शुरू करके रोज़ एक-एक बढ़ाते हुये 15 तक ले जाएँ| फिर हर रोज़ एक-एक घटाते हुये 15 से 1 पर आयें| इस तरह जुखाम एक महीने में खत्म हो जाएगा| जुखाम के साथ हल्का ज्वर भी हो तो 5-6 काली मिर्च, 7-8 तुलसी के पत्ते, लौंग, एक इंच अदरक, एक इलायची- इन सभी क पानी में पका लें तथा दूध डालकर चाय की तरह गरमा गरम दिन में तीन बार पियें| इससे पसीना आकार शरीर हल्का होता है और ज्वर उतर जाता है|
3. खांसी:
आधा चम्मच काली मिर्च का चूर्ण और आधा चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन से चार बार चाटें| इससे खांसी ठीक हो जाती है|
4. पाचन शक्ति में वृद्धि:
पाचन शक्ति कमजोर हो जाने पर आहार अच्छी तरह नहीं पछता और उसमें सड़न होने लगती है| पाचन शक्ति की वृद्धि के लिए जीरा, सौंठ, सेंधा नमक, पीपरि, काली मिर्च सब समान मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर रख लें| भोजन के बाद एक चम्मच चूर्ण पानी से लें| भोजन जल्दी पचने लगेगा|
5. गैस:
ये समस्या होने पर एक प्याले पानी में आधा नींबू का रस, आधा चम्मच काली मिर्च का चूर्ण व आधा काला नमक मिलाकर हर रोज़ कुछ दिनों तक सेवन करने से गैस की शिकायत दूर हो जाती है|
6. गला बैठना:
काली मिर्च को घी और मिश्री के साथ मिलाकर चाटने से बंद गला खुल जाता है और आवाज़ सुरीली होती है| 8 से 10 काली मिर्च पानी में उबालकर इस पानी से गरारे करें इससे गले का संक्रमण ठीक हो जाता है|
7. त्वचा रोग:
काली मिर्च को घी में बारीक पीसकर लेप करने से दाद, खाज, फोड़े-फुंसी आदि चर्म रोग दूर हो जाते हैं| छोटी फुंसियाँ दिन में दो बार लेप करने से तुरंत बैठ जाती हैं|
8. स्मरणशक्ति:
मस्तिष्क में तरावट और ताजगी लाने तथा स्मरणशक्ति बढ़ाने के लिए इसका प्रयोग ब्राह्मी मी पत्तियों के साथ मिलाकर किया जाता है| थोड़े से घी में 3-4 ग्राम ब्राह्मी की पत्ती उबाल लें इसमें पिसी काली मिर्च और शक्कर मिलाकर चाटें|
9. नेत्र ज्योति:
आधा चम्मच घी, आधा चम्मच पिसी हुयी काली मिर्च और आधा चम्मच मिश्री तीनों को मिलाकर सुबह-शाम चाटें| इससे आँखों की कंजूरी दूर होती है और नेत्र ज्योति बढ़ती है|
10. बदहज़मी:
इसकी शिकायत होने पर एक नींबू काटकर काली मिर्च और काला नमक लगाएँ और उसे गरम करके चूसें|
11. मसूड़ों की सूजन:
काली मिर्च को उबालकर उसके पानी से कुल्ला करने से मसूड़ों की सूजन कम हो जाती है| मसूड़े स्वस्थ तथा स्वस्थ होते हैं|
12. पाचन क्रिया:
पाचन क्रिया ठीक करने के लिए कालो मिर्च और सेंधा नमक पीसकर भुनी अदरक के बारीक टुकड़ों के साथ मिलाकर खाएं|
13. बुखार:
तीन माशे से छे माशा काली मिर्च पीसकर आधा लिटर पनाई में पका लें| उसका काढ़ा बना के उसमें 20 ग्राम शक्कर मिलाकर पियें इससे बुखार उतर जाएगा|
14. मलेरिया:
काली मिर्च का चूर्ण तुलसी के रस और शहद में मिलाके सेवन करने से मलेरिया दूर हो जाता है|
15. पेचिश:
काली मिर्च का बारीक चूर्ण शहद के साथ चाटकर ऊपर से छाछ पीने से पेचिश की दिक्कत दूर हो जाती है| इस नुस्खे का सेवन दिन में तीन बार करें|
16. हैजा:
काली मिर्च एक माशा, हींग एक माशा और कपूर दो माशा लीजिये| पहले कपूर और हींग को मिला लें फिर उसमें काली मिर्च मिलाकर 16 गोलियां बना लें| आधे-आधे घंटे पर एक-एक गोली देने से उल्टी और दस्त बंद हो जाते हैं और 4 से 6 गंते में हैजा मिट जाता है| हैजे में हाथ पैर में पीड़ा हो रही हो तो प्याज के रस में काली मिर्च का चूर्ण डालकर मालिश करें|
17. पेट दर्द:
अदरक और नींबू के रस में एक माशा काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर पीने से पेट दर्द डोरो होता है|
18. सर चकराना:
काली मिर्च का चूर्ण, शक्कर और घी एक सतह मिलाकर सेवन करने से सर का चकराना, भ्रम आदि दूर होते हैं|
19. नकसीर:
काली मिर्च को दही और पुराने गुड में मिलाकर पीने से नाक से गिरने वाला खून (नकसीर) बंद होता है|
20. रतौंधी:
सफेद मिर्च को दही या शहद में घिसकर आँख में अंजन (काजल की तरह लगाने से) करने से रतौंधी मिटती है|