इस रोग में पहले बुखार होता है फिर शरीर में लाल-लाल दाने निकाल आते हैं| यह दाने दूसरे या तीसरे दिन फफोले में बादल जाते हैं और चौथे दिन से पपड़ी जाम कर गिरने लगती है| यह एक सूक्ष्म विषाणु जन्य रोग है|
खसरा के लक्षण:
1. इस रोग में सबसे पहले जुखाम और सर्दी होती है|
2. छींकें और सूखी ख़ासी आती है|
3. तत्पश्चात बुखार होने लगता है|
4. आँख, मुंह फूले हुये और लाल दिखाई देते हैं|
5. बुखार के चौथे दिन पूरे शरीर और चेहरे पर बहुत छोटे-छोटे लाल दाने निकाल आते हैं|
6. कभी-कभी ये सात से आठ दिनों बाद भी निकलते हैं|
7. खसरे में पहले गाले में खराश के साथ, नाक से स्राव, छींकें आना, आखें लाल हो जाना, आँसू बहना, स्वरभंग (गला बैठना या गले में सूजन), सर दर्द, हाथ और पैरों में दर्द, बुखार 101 डिग्री फा. से 104 डिग्री फा. तक एवं गालों, होठों आदि पर छोटे-छोटे दाने निकाल आते हैं|
8. 8 से 9 दिनों के बाद खसरा के दाने अच्छे हो जाते हैं और बुखार भी ठीक हो जाता है|
9. खसरा एक संक्रामक रोग है, इसके रोगी के संपर्क में लोगों को भी खसरा क=होने की संभावना रहती हैं|
खसरा के आयुर्वेदिक नुस्खे:
1. खसरे में छोटी-छोटी फुंसियों में जलन हो तो चन्दन को पत्थर पर घिसकर लेप लगाएँ|
2. आंवला, खस, गिलोय, गुरुचि, धनीया और नागरमोथा सबको समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और एक चम्मच चूर्ण को दो गिलास पानी में उबाल लें| जब एक गिलास पानी रह जाये तब इसे उतार लें, इसे आधा-आधा चम्मच की मात्रा में रोगी को बार-बार पिलाएँ| यह मात्रा बच्चों के लिए है| इससे दूसरे रोग में भी आराम मिलता है|
3. नीम, पित्त पापड़ा, पाठा, परवल के पत्ते, कुटकी, सफ़ेद चंदन, खस, आंवला और अडूसा सभी को मिलाकर काढ़ा बनाएँ| इसमें शक्कर मिलाकर रोगी को पिलाएँ|
4. आंखों में लाली या जलन हो तो इस काढ़े को साफ कपड़े से छान कर उसमें पानी मिलाकर रोगी की आँखों को बार-बार पोछें| काढ़े में कपड़ा या रूई भिगाकर आँखों पर रखने से भी फाइदा होता है|
5. खसरे में खुजलाने से जो चिपचिपा पदार्थ निकलता है, उसके लिए 100 ग्राम नारियल के तेल में 20 ग्राम कपूर मिलाएँ| इस मिश्रण को शरीर पर तीन से चार बार लगाएँ| इससे खसरे में राहत मिलती है|
6. खसरे में निकले लाल दानों से होने वाली तकलीफ को दूर करने के लिए आंवले को पीसकर, उसका लेप लगाएँ, इससे बच्चे की झटपटाहट निकाल जाएगी| खसरा निकाल जाने के बाद बदन में खुजली या जलन हो तो, सूखे आंवले को पानी में उबाल कर फिर उससे ठंडा कर और कपड़ा भिगोकर शरीर में फेरें, इससे बच्चे को राहत मिलेगी|
7. एक लीटर पानी उबालकर चतुथार्श रहने पर उतार का बच्चे को थोड़ा-थोड़ा पानी बार-बार पिलाएँ, इससे खसरे में बार-बार लागने वाली प्यास शांत होती है|
8. ब्राह्मी के स्वरस में मधु (शहद) मिलाकर पिलाने से लाभ होता है|
9. पीड़िकाओं को नीम और गूलर की चाल का क्वाथ बनाकर साफ करें, फिर उनपर नीम का तेल लगाएँ|
पथ्य-आपथ्य:
रोगी बच्चे की अन्न पचाने की शक्ति कम हो जाती है, अत: उसे तरल पदार्थ जैसे: चावल की कांजी, दाल का पानी, उबले पानी में नमक व चीनी मिलाकर बार-बार देना चाहिए|
रोगी को पूरा आराम मिलना चाहिए और उसके पास दूसरे बच्चों को नहीं आने देना चाहिए| वरना वो बच्चे भी इस रोग से संक्रमित हो सकते हैं|
अत्यधिक धूल, तेज़ हवा वाली जगह से रोगी दूर रखें|