इस रोग में त्वचा का ऊपरी भाग मोटा होकर मशक के समान काला हो जाता है| इसमें बाहरी त्वचा मोटी होकर उभर आती है और उसमें अंकुर निकाल आते हैं|
मस्से या तो एक साथ स्थान पर अकेले ही निकलते हैं या कई मस्से एक ही स्थान पर निकलते हैं| ये मस्से अधिकतर हाथ पर निकलते हैं, सर, गर्दन, पैर, चेहरे, एवं बाहरी जननेन्द्रीया संस्थान पर मस्से प्राय: कम होते हैं|
यह रोग शरीर में कहीं भी फैल सकता है|
मस्से के कारण:
ये एक संक्रामक रोग है, इसका संक्रामण समान रूप से उँगलियों तथा हाथों को प्रभावित करता है|
मस्से के लक्षण:
· समान रूप से मिलने वाले मस्से मटर के आकार के दाने के होते हैं, तथा हाथ, अग्र, बाहु, तथा चेहरे पर होते हैं|
· ये मस्से त्वचा पर कुछ उभरे हुये चिपटे होते हैं|
· पैर के तलवों में होने वाले मस्से बहुत बड़े आकार के तथा पीड़ा युक्त होते हैं\
· जो मस्से पुरशों एवं महिलाओं के गुप्त अंगों को प्रभावित करते हैं, वे अन्य मस्सों की अपेक्षा तेज़ी से बढ़ते हैं|
· विशेष कर गर्भावस्था की स्थिति में बच्चों में होने वाले मस्से छापते आकार के जननेन्द्रीया संस्थान को प्रभावित करते हैं| इसमें से बदबूदार स्राव भी निकलता है|
मस्से के घरेलू नुस्खे:
1. हरे धनिये को पीसकर मस्सों पर नियमित लेप करने से मस्से ठीक हो जाते हैं|
2. खट्टी सेब का रस निकालकर दिन में तीन बार मस्सों पर नियमित लेप करने से मस्से ठीक हो जाते हैं|
3. प्याज़ का रस लगाने से भी लाभ होता है|
4. जीरे को पीसकर उसकी लुगदी बनाकर बांधने से स्रावयुक्त मस्सों से गिरने वाला खून बंद हो जाता है, जलन मिटती है और बाहर निकले हुये अत्यंत कष्टदायक मस्से अंदर चले जाते हैं|