अगर डॉमिनोज का एक नॉन वेज सुप्रीम रेगुलर पिज्जा या पिज्जा हट का चिकन सुप्रीम पर्सनल पिज्जा आपने खा लिया तो इसके बाद आपके पूरे दिन का नमक का कोटा पूरा हो गया है। अगर इसके बाद आप खाने में नमक ले रहे हैं तो यह सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं।
यह दावा सीएसई (सेंटर फॉर साइंस ऐंड इन्वाइरनमेंट) ने किया है। सीएसई ने अपनी लैब रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि जंक फूड में प्रस्तावित सीमा से काफी ज्याद मात्रा में नमक और फैट पाया गया है।
सीएसई के अनुसार, एक व्यक्ति को पूरे दिन में 2,000 किलो कैलरी की जरूरत होती है, जिसमें नमक की मात्रा 5 ग्राम, फैट 60 ग्राम, कार्बो हाइड्रेट 300 ग्राम और सिर्फ ट्रांसफैट 2.2 ग्राम से ज्यादा होना चाहिए।
उनके अनुसार, चिप्स, नूडल्स, पिज्जा, बर्गर और नमकीन में सबसे ज्याद नमक की मात्रा होती है।
जुलाई में सीएसई ने इस रिपोर्ट पर काम शुरू किय था, जिनमें विभिन्न ब्रैंड के चिप्स, नमकीन, नूडल्स, सूप के 14 सैंपल और बर्गर, फ्राइज, फ्राइड चिकन,पिज्जा,
सैंडविच के 19 सैंपल लिए गए। यह सभी सैंपल फूड चेन और दिल्ली के रिटेल स्टोर और मार्केट आदि से लिए गए।
| सबसे ज्यादा नमक इनमें | नमक (ग्राम) | फैट (ग्राम) |
| अंकल चिप्स स्पाइसी ट्रीट (पेप्सि को | 4.4 | 4.4 |
| टू यम मल्टी ग्रेन चिप्स | 5.1 | 2.1 |
| पुदीना ट्रीट चिप्स हल्दी राम | 3.6 | 4.6 |
| क्लासिक नट क्रैकर्स हल्दी राम | 7.9 | 5.6 |
| मैगी मसाला नेसले | 5.8 | 1.9 |
| आटा नूडल्स पतंजलि | 6.2 | 2.8 |
| नॉर क्लासिक थिक टोमेटो सूप | 11.7 | 1.1 |
जंक फूड्स के सैंपल लिए गए तय मानकों से ज्यादा मिला ट्रांसफैट की गलत लेबलिंग सीएसई लैब के हेड मृणाल मलिक ने बताया कि ट्रांसफैट से दिल की बीमारी सबसे ज्याद बढ़ रही है, लेकिन स्टडी में सामने आया है कि सभी सैंपलों में कंपनियों ने अपने उत्पादों में ट्रांसफैट के बारे में गलत जानकारियां दी हैं।
इसकी इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। सीएसई की महानिदेशक सुनीत नारायण ने कहा कि हमने जितने भी पैकेट बंद और फास्ट फूड के सैंपलों की जांच की उनमें नमक और फैट की मात्रा खतरनाक स्तर पर पाई गई। उपभोक्ता होने के नाते हमें यह जानने का हक है कि हमारे पैकेट में क्या है?
लेकिन फूड रेगुलेटर एफएसएसएआई अपने ड्राफ्ट लेबलिंग रेगुलेशन को नोटिफाई नहीं कर रहा है। एफएसएसएआई ने जुलाई 2019 में जो ड्राफ्ट जारी किया था उसमें काफी नियम बदल दिए हैं। खासकर 100 ग्राम के पैकेट बंद फूड में नमक और फैट की स्वीकृत मात्रा में बदलाव किया गया है। इस सीमा से ज्याद नमक और फैट होने पर पैकेट पर रेड लेबल रहेगा। रेड लेबल होने से बच्चों के खाने की वस्तु के बारे में साफ तौर पर पता होगा। इस तरह के प्रयोग चिली, इजराइल में काफी सफल रहे हैं।
सीएसई के मुताबिक, टू यम मल्टीग्रेन चिप्स के 30 ग्राम के पैकेट में एक ग्राम नमक की मात्रा पाई गई। यह स्नैक्स के तय मानकों से दोगुनी है। इसी तरह नमकीन के हल्दीराम नट क्रैकर्स, इंस्टेंट नूडल्स और सूप में (मैगी और नॉर) भी नमक की मात्रा काफी ज्याद पाई गई। बर्गर (मैकडॉनल्ड्स और बर्गर किंग), पिज्जा (डॉमिनोस और पिज्जा हट) और सैंडविच (सबवे) के सैंपल में भी यह मात्रा काफी ज्यादा मिली।
निजी कंपनियां फास्ट फूड को लंबे समय तक चलाने के लिए सोडियम का ज्यादा प्रयोग करती हैं। यह शरीर के लिए नुकसानदेह है। इसकी वजह से मोटापा, हाइपरटेंशन, शुगर, कोलेस्ट्रॉल का खतरा रहता है। -डॉ. पूनमतिवारी, डायटिशन, आरएमएलआई
Source From: https://www.cseindia.org/new-lab-study-on-junk-food-9804

