पाचन अग्नि की मंदता को मंदाग्नि कहते हैं| आहार को पचाने के लिए पाचक अग्नि का महत्वपूर्ण स्थान है| जब यह अग्नि तेज़ या सम होती है, तो उचित मात्रा में तथा उचित समय तक अपना पाचन कार्य पूरा करती है|
लेकिन जब किसी कारणवश वह अग्नि मंद या धीमी हो जाती है तो उसकी पाचन क्षमता में कमी आ जाती है और यही मंदाग्नि कहलाती है|
मंदाग्नि के कारण तरह-तरह के पेट विकार जन्म लेते हैं, शरीर धीरे-धीरे कमज़ोर होता जाता है और खाया हुआ आहार ठीक से नहीं पचता|
मंदाग्नि के कारण:
1. इसका कारण मनुष्य खुद है, व्यस्तता व अन्य कारणों से नियम समय पर भोजन न करना मंदाग्नि का मुख्य कारण है|
2. अधिक मात्रा में और बार-बार खाते रहना, भूख लगने पर भी न खाना|
3. तैलिय व देर से पचने वाले आहार का ज़्यादा सेवन करना|
4. ठंडे पेय पदार्थ या बासी भोजन आदि भी अग्नि को मंद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं|
5. प्रतिदिन बाज़ार का रूखा-सूखा खाने से भी पाचन शक्ति कमज़ोर हो जाती है|
मंदाग्नि के लक्षण:
1. मंदाग्नि के अधिकतर लक्षण अग्निमांध रोग से मिलते-जुलते हैं|
2. इससे पेट में भारीपैन महसूस होता है|
3. मुंह बेस्वाद या फीका-फीका रहता है|
4. सांस से दुर्गंध आती है|
5. छाती या पेट में होती है, भूख नहीं लगती और जी मिचलाता है|
6. पेट में गैस के कारण गुड़गुड़ाहट या धीमा-धीमा दर्द होता है|
मंदाग्नि के 6 घरेलू नुस्खे:
1. मंदाग्नि रोग के निवारण के लिए जामुन भी उत्तम है| जामुन का नियमित सेवन करना फायदेमंद होता है| जामुन का सिरका बनाकर रख दें, ज़रूरत पड़ने पर जामुन के सिरके का रस सुबह-शाम 10 से 14 ग्राम की मात्र में पानी मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है|
2. नींबू को काटकर उसे एक फांके में काला नमक और दूसरे में काली मिर्च का चूर्ण भरकर आग पर गर्म करके चूसना चाहिए| इससे मंदाग्नि की शिकायत दूर हो जाएगी|
3. सोंठ, जीरा, अजवायन, और काली मिर्च 2-2 ग्राम और भूनी हुई हींग तथा चोटी पीपल 1-1 ग्राम पीसकर एक साथ मिलाएँ| मट्ठे में मिलके एक-एक ग्राम नियमित पीने से मंदाग्नि की शिकायत दूर होती है और भूख खुलकर लगती है|
4. अदरक का रस, नींबू का रस और सेंधा नमक, एक साथ मिलकर भोजन की शुरुआत में रोजाना सेवन करने से मंदाग्नि का शमन होता है और पाचक अग्नि बढ़ती है|
5. काली मिर्च, चित्रक और काले नमक का चूर्ण छाछ में मिलाकर पीने से मंदाग्नि में फायदा होता है|
6. सोंठ 10 ग्राम, काली मिर्च 10 ग्राम, पीपर 10 ग्राम, और सेंधा नमक 10 ग्राम सभी कूटकर चूर्ण बना लें| इसमें 400 ग्राम काली द्राक्ष (बीज निकाला हुआ) मिलाए और चटनी की तरह पीसकर काँच के बर्तन में भरकर रख दें| 5 से 15 ग्राम तक सुबह-शाम नियमित इस चूर्ण का सेवन करने से सोंठ रोग का शमन होता है| यह मंदाग्नि के लिए उत्तम नुस्खा है|
पथ्य: मंदाग्नि के लक्षण प्रकट होते ही हल्का आहार लें| मूंग की दाल का जूस, मूंग की खिचड़ी, सब्जियाँ का सूप, मीठी और पतली छाछ आदि पथ्य हैं| अग्नि तेज़ करने के लिए केवल गरम पानी पीना चाहिए| यह लाभप्रद होता है| आहार में घी का उपयोग अवश्य करें|