हिचकी आने के कारण व लक्षण क्या हैं? आखिर हिचकी आने पर क्या करना होता है?

मिर्च या तीखे-कटु पदार्थ खाने से प्राय: हिचकी आ सकती है| इस समस्या में हिक-हिक की आवाज़ सुनाई देती है| कई बार अचानक से हिचकी आने पर काम करते वक़्त या कहीं बाहर होने पर यह आपके लिए थोड़ा अजीब भी हो सकता है|

कई बार हिचकी की आवाज़ बहुत ज़ोर से सुनाई देती है और मान लीजिये की आप आपने ऑफिस में प्रेजेंटेशन दे रहे हैं तो ये आपके लिए हिचकी दुविधा बन सकती है|

इसलिए आज हम कुछ ऐसे नुस्खों के बारे में बात करेंगें जिससे हिचकी ठीक हो जाएगी|

आयुर्वेदा में हिचकी को हिक्का कहा जाता है| 2 से 4 बार हिचकी आना सामान्य है, परंतु लगातार हिचकी की समस्या बनी रहे तो ये कष्टदाई हो जाता है|

हिचकी आने के कारण क्या हैं?

1.   तीखे, रूखे तथा गरिष्ठ पदार्थों के खाने से हिचकी रोग उत्पन्न होता है|

2.   कभी-कभी अधिक मात्रा में खाने या पानी पीने से भीतर की प्राणवायु कुपित होकर ऊपर की ओर आ जाती है| इस कारण हिचकी आने लगती है|

3.   शीतल जल से स्नान करने, नाक में धूल कण या धुआं जाने, अधिक परिश्रम करने तथा मलमूत्रदि व भूख-प्यास के वेगों को रोकने से भी हिचकी आती आती है|

हिचकी आने के लक्षण:

1.   हिचकी आने के पहले, गले एवं हृदय में भारीपन महसूस होता है| मुंह में कसैलापन व पेट में गुर्गुराहट होती है| जब हिचकी आती है तो सर तथा गर्दन में कंपन होता है|

2.   कभी-कभी यह हृदया सर एवं मर्मस्थानो (शरीर का वह कोमल स्थान जहाँ प्रहार होना व्यक्ति के लिए घातक होता है) में पीड़ा के साथ पूरे शरीर में कंपन्न उत्पन्न करती हुयी निरंतर आती रहती है|

हिचकी आने के घरेलू नुस्खे:

1.   मूली के तीन से चार पत्ते खाने से हिचकी दूर होती है|

2.   अदरक का रस, काली मिर्च, तथा नींबू का रस मिलाकर चाटने से हिचकी बंद हो जाती है|

3.   एक ग्लास हल्का गरम जल पीने से हिचकी दूर हो जाती है|

4.   सौंठ को पानी में घिसकर सूंघने से हिचकी जल्दी बंद हो जाती है|

5.   10 ग्राम तुलसी दल, 10 ग्राम काली मिर्च व दो ग्राम चोटी इलायची को एक साथ पीसकर उस चूर्ण को शहद के साथ चाटें हिचकी से तुरंत छुटकारा मिल जाएगा|

इसके साथ यह भी जानना ज़रूरी है की भोजन का असली मतलब क्या होता है| भोजन स्वाद के लिए नहीं करना चाहिए| इसका मुख्य उद्देश्य होना चाहिए निरोग व पुष्ट कोषों (cells) को तैयार करना जिससे शारीरिक व मानसिक स्वस्थ बना रहे| वात-पित्त और कफ़ शरीर में अनुपात (बैलेन्स) में बने रहें| प्राणधारक शक्ति बराबर बनी रहे|

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